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भ्रष्टाचार और राष्ट्र जागरण

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भ्रष्टाचार का राज सब तरफ फ़ैल गया है | राजनेता भ्रष्ट हैं नौकरशाही भ्रष्ट हैं, और तो और भ्रष्टाचार न्यायालयों में भी घुसपैठ कर गया है | भ्रष्टाचार का उदगम स्थान पूंजीपति व्यावस्था है | लोकतंत्र गणतंत्र बन गया है | तंत्र के गण भ्रष्ट और बिकाउ हैं | पैसा फैंको तमाशा देखो | देसी और विदेशी पूँजीपतियो के आगे सरकार नतमस्तक है | सच तो यह है कि पूंजीवाद और लोकतंत्र कभी भी इकठे नहीं रह सकते | हमारे फिनांस मिनिस्टर प्रनाब मुखर्जी मूर्ख तो नहीं हैं, पर बिना किसी लिहाज के दांत निकलते है और फिर शिघ्र मुकर जाते हैं | पहले सोने पर उत्पाद शुल्क लगाया और फिर सोने – पे – सुहागा लगाया के पूँजीपतियो के दबाव में थूक कर चाट लिया | पहले एंटी अवोइडडेंस (उलट निकारना) रूल बनाया और फिर उसको एक साल के लिए सथगित कर दिया | राष्ट्र के पति बनना चाहतें हैं खुद कया हैं वोह भी कभी भी राष्ट्रपिता नहीं बन पायें – ना बन पाएंगे | निकारा,निकम्मा, लचर और लाचार प्रधानमंत्री देश और विदेश में घूमता है पर आठ साल में बेचारा देश के लिए कुछ भी नहीं कर पाया | पिछले ८ साल में देश का लोकतंत्र कुम्हार के चक्के की तरहं घूम रहा है ( “The country is spinning round and round like a potter’s wheel ) पंजाबी में कहते हैं -सदो वडी अम्मा नू ते खंड-चोलां विच कट्टा पाए अर्थात बुलाओ बड़ी अम्मा को की चीनी-चावल में धूळ डाले ( Call the big mother to spoil everything )| आज रूपये की कीमत आठ साल में ४५ से बढ़ कर ५५ रुपये हो गयी है पर अर्थशास्त्री को इससे क्या फर्क पड़ता है | वोह तो महलों में रहता है, कारों में घूमता है और हवाई जहाजों में उड़ता है | आज मेहनतकश किसान और मजदूर आधी रोटी खा कर सोता है और करजाई किसान को खुदकशी करनी पड़ती है | नेता लोगों को राष्ट्र से क्या सरोकार, वोह तो केवल बातें बनाते हैं, भाषण देते हैं और झूठे वादे करते हैं | नेता लोग देश की मलाई खा रहे हैं और ऐश कर रहें है | जनता का रूख है “मेरे जैसा धीरजवाला है कोई और ज़माने में” | ऐसा धीरज तो कमजोरों और काफिरों की पहचान है | ऐसे में अन्ना और रामदेव का साथ देने के आलावा देशप्रेमियों के लिए और कोई चारा नहीं | देश की आजादी के लिए बलिदान देना पड़ता है और त्यागियों के साथ त्याग करना पड़ता है | देवा न सपन्ति, जाग्रति जाग्रति देवा:| सोवो नहीं अपने दिव्य गुणों को जगाओ | वयं राष्ट्र जाग्रयाम पुरोहित: | आओ राष्ट्र की रक्षा के लिए जाग्रति लायें | “मेरे जैसा धीरजवाला है कोई और ज़माने में” – ऐसे धीरज को छोड़ो और आगे आओ नहीं तो कहीं देर न हो जाये | नहीं तो अब पछताए क्या होत जब चिडया चुग गई खेत |
आवाज दो हम एक हैं हम एक हैं |
यह वक़्त सोने का नहीं, यह वक़्त खोने का नहीं,
जागो वतन खतरे में है, सारा चमन खतरे में है |
आवाज दो हम एक हैं हम एक हैं |
तुम्हारे इम्तहान का वक़्त है तैयार हो जाओ – तैयार हो जाओ |

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