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छोटा परिवार सुखी परिवार |

Arya Sanskriti Kendra
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छोटा परिवार सुखी परिवार | देश की बढती आबादी के साथ – साथ गरीबी, बेरोजगारी, तंगी, अपराध, किसानो की आत्महत्या, और हर शेत्र में भ्रष्टाचार भी बढता जा रहा है | पर सुनता मेरी कौन है किसे सुनाऊँ मैं | गवर्नमेंट लचर और लाचार है | कसम यह वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या कोई किसी का नहीं यह झूठे वादे हैं वादों का क्या | चुनाव से पहले वायदे और फिर तू कौन और मैं कौन | हर पांच साल यां उससे पहले चुनाव का तमाशा और फिर टाएँ – टाएँ फिस | पिछले आठ सालों में मनमोहनजी केवल मन मोहने की कोशिश कर रहें है बिना कोई सराहनिय काम किये | जब भी कोई इल्जाम लगता है वोह उसको अप्पोजीशन के सर पर मढ़ देते हैं | सरकार तो सरकार अप्पोज़िशन पार्टिया भी असली मुद्हे नहीं उठाती कियूँ की कही वोट बैंक का नुक्सान न हो जाये | आज कोई भी परिवार नियोजन की बात नहीं करता | कोई नहीं है न जाने मुझको है किसका इन्तजार | जनता बदलाव चाहती है और बदलाव के लिये कड़े कानूनों की आवश्यकता है | इसके लिये परिवार नियोजन का कानून आवश्यक है | एक बच्चे के परिवार को एक हज़ार रुपये का वजीफा, दो बच्चे वाले परिवार के लिये डेढ़ हज़ार का वजीफा प्रति माह बच्चों के लालन – पालन और पढाई के लिये | साथ साथ उनके माँ-बाप को नौकरी यां रोज़गार और बच्चों की पढाई में और पढाई के बाद छोटे परिवार वाले बच्चों के लिये आरक्षण | अगर पहला बच्चा लड़की तो वजीफे की रकम बारह सौ और अगर दोनों बच्चे लड़कियां तो वजीफे की रकम ढाई हज़ार रुपये प्रति माह हो |
सवाल उठता है की इतने धन का इंतजाम बेचारा फिनांस मिनिस्टर कहाँ से करेगा | तो जबाब यह है की तीसरा बच्चा पैदा करनेवाला पांच सौ रुपये का टैक्स देगा, चौथे बच्चेवाला एक हज़ार का टैक्स देगा और इसी प्रकार हर अगले बच्चे पर टैक्स बढता जायेगा | शादी हम करते है और बच्चे भी हम पैदा करते है | बच्चें हमारी पैदाश हैं ना की इश्वर – गोड – रब की | इस लिये अधिक बच्चों के शौक को पूरा करना के लिये टैक्स देने में कोई हर्ज़ नहीं | अधिक बच्चों वाला परिवार दुखी और गरीब भी रहता है | इसके अतिरिक्त बड़ा परिवार बच्चों को अच्छी शिक्षा और दूसरी सुविधायें भी नहीं दे पाता और परिवार और बच्चे रुल जाते – बिगड़ जाते हैं | सरकार – गरीबों की सुनो वोह तुम्हारी सुनेगा | तुम एक पैसा दोगे वोह दस लाख देगा अर्थात इससे देश खुशहाल बन जायेगा | इससे रीजिनल पार्टियाँ जो वोटों के लिये कोमूनल और जात-पात का रोग फैलाती हैं पस्त पड़ जायेंगी और राष्ट्र भी मजभूत होगा |
रीजिनल पार्टियों से क्षमा चाहता हूँ, क्यूँ की मुलायम हो यां माया, लालू हो यां चालू , पवार हो यां गंवार, काला चश्मा हो यां कोई चश्मे के बगैर रीजिनल पार्टियों से ना किसी प्रान्त का ना देश – राष्ट्र का भला हो सकता है |

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